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वहां हलकी हलकी बारिश हो रही थी, जब मैं अपने घर के आंगन में खड़ी थी, उस दिन मैंने एक सफेद नाइटी पहनी थी.
बारिश की बूंदें मेरे बालों पर जिल मिला रही थी, और मुझे वह महसूस हो रहा था कि मैं अपनी खुबसूर्ती का सबसे साफ रूप दिखा रही थी.
अचानक दर्वाजे की बेल बजी, और जब मैंने दर्वाजा खोला, तो वहां मेरे दमाद जी खड़े थे.
उन्होंने मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे म�
इसाफ से दो चीजें पता है और वो है आपकी खुपसूर्थी और आपका दिल उन्होंने मुझे अपने पास खीच लिया और कमरे में सजाए गए फूलों के मुरजाने तक उन्होंने मुझे आज जब मैंने घर का दर्वाजा खोला तो मेरे पत्ती की बजाए मेरे दमाद